मंज़िल दुर सफ़र बहुत है छोटी सी ज़िंदगी की, फ़िकर बहुत है मार डालती दुनिया कब की हमें, लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत हैं |
खुले आसमां में जमीं से बात ना करो, जी लो ज़िंदगी खुशी का आस न करो, हर त्योहार में कम से कम हमे न भूला करो, फोन से ना सही मैसेज से ही, संक्राति विश किया करो |
ज़िंदगी का हर वो रंग, दिलकश, लगता है जो आपके प्यार, में हम पर चढ़ता है |